आरती संग्रह
(1) श्री गणेशजी की आरती ( Aarti ganesh ji ki)
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Aarti ganesh ji ki |
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा🙏
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा🙏🙏
एकदन्त दयावन्त चारभुजाधारी🙏
माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी🙏🙏
पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा🙏
लड्डुअन का भोग लगे सन्त करें सेवा🙏🙏
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा🙏
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा🙏🙏
अन्धे को आँख देत, कोढ़िन को काया🙏
बाँझन को पुत्र देत, निर्धन को माया 🙏🙏
'सूर' श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा🙏
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा🙏
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा🙏🙏
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aarti shree saraswat mata ji ki |
जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता🙏
सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता🙏🙏
जय सरस्वती माता🙏
चन्द्रवदनि पद्मासिनि, द्युति मंगलकारी🙏
सोहे शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी🙏🙏
जय सरस्वती माता🙏
बाएं कर में वीणा, दाएं कर माला🙏
शीश मुकुट मणि सोहे, गल मोतियन माला🙏🙏
जय सरस्वती माता🙏
देवी शरण जो आए, उनका उद्धार किया🙏
पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया🙏🙏
जय सरस्वती माता🙏
विद्या ज्ञान प्रदायिनि, ज्ञान प्रकाश भरो🙏
मोह अज्ञान और तिमिर का, जग से नाश करो🙏🙏
जय सरस्वती माता🙏
धूप दीप फल मेवा, माँ स्वीकार करो🙏
ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्तार करो🙏🙏
जय सरस्वती माता🙏
माँ सरस्वती की आरती, जो कोई जन गावे🙏
हितकारी सुखकारी ज्ञान भक्ति पावे🙏🙏
जय सरस्वती माता🙏
जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता🙏
सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता🙏🙏
जय सरस्वती माता🙏
(3) "जय सन्तोषी माता" आरती
( jai santosi mata aarti)
जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता🙏
अपने सेवक जन की सुख सम्पति दाता 🙏🙏
मैया जय सन्तोषी माता
सुन्दर चीर सुनहरी मां धारण कीन्हो🙏
हीरा पन्ना दमके, तन श्रृंगार लीन्हो🙏🙏
मैया जय सन्तोषी माता
गेरू लाल छटा छबि बदन कमल सोहे🙏
मंद हंसत करुणामयी, त्रिभुवन जन मोहे🙏🙏
मैया जय सन्तोषी माता
स्वर्ण सिंहासन बैठी चंवर दुरे प्यारे🙏
धूप, दीप, मधु, मेवा, भोज धरे न्यारे🙏🙏
मैया जय सन्तोषी माता
गुड़ अरु चना परम प्रिय तामें संतोष कियो🙏
संतोषी कहलाई, भक्तन वैभव दियो🙏🙏
मैया जय सन्तोषी माता
शुक्रवार प्रिय मानत आज दिवस सोही🙏
भक्त मंडली छाई, कथा सुनत मोही🙏🙏
मैया जय सन्तोषी माता
मंदिर जग मग ज्योति मंगल ध्वनि छाई🙏
विनय करें हम सेवक, चरनन सिर नाई🙏🙏
मैया जय सन्तोषी माता
भक्ति भावमय पूजा अंगीकृत कीजै🙏
जो मन बसे हमारे, इच्छित फल दीजै🙏🙏
मैया जय सन्तोषी माता
दुखी दारिद्री रोगी संकट मुक्त किए🙏
बहु धन धान्य भरे घर, सुख सौभाग्य दिए🙏🙏
मैया जय सन्तोषी माता
ध्यान धरे जो तेरा वांछित फल पायो🙏
पूजा कथा श्रवण कर, घर आनन्द आयो🙏🙏
मैया जय सन्तोषी माता
चरण गहे की लज्जा रखियो जगदम्बे🙏
संकट तू ही निवारे, दयामयी अम्बे🙏🙏
मैया जय सन्तोषी माता
सन्तोषी माता की आरती जो कोई जन गावे🙏
रिद्धि सिद्धि सुख सम्पति, जी भर के पावे🙏🙏
मैया जय सन्तोषी माता
(4)शनिदेव की आरती (shanidev ki aarti)
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Aarti shanidev ki |
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी🙏
सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी🙏🙏
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी🙏🙏
श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी🙏
निलाम्बर धार नाथ गज की असवारी🙏🙏
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी🙏🙏
क्रीट मुकुट शीश सहज दिपत है लिलारी🙏
मुक्तन की माल गले शोभित बलिहारी🙏🙏
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी🙏🙏
मोदक और मिष्ठान चढ़े, चढ़ती पान सुपारी🙏
लोहा, तिल, तेल, उड़द महिषी है अति प्यारी🙏🙏
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी🙏🙏
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी🙏
विश्वनाथ धरत ध्यान हम हैं शरण तुम्हारी🙏🙏
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी🙏🙏
(5) (Aarti hanuman ji ki)
आरती कीजै हनुमानलला की
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aarti hanuman ji ki |
आरती कीजै हनुमानलला की, दुष्टदलन रघुनाथ कला की🙏
जाके बल से गिरिवर कांपे, रोग दोष जाके निकट न झांपै🙏
अंजनिपुत्र महा बलदायी, संतन के प्रभु सदा सहाई🙏🙏
दे बीरा रघुनाथ पठाये, लंका जारि सिया सुधि लाये🙏
लंका-सो कोट समुद्र-सी खाई, जात पवनसुत बार न लाई🙏🙏
लंका जारि असुर संहारे, सियारामजी के काज संवारे🙏
लक्ष्मण मूर्छित परे सकारे, आनि संजीवन प्रान उबारे🙏🙏
पैठि पताल तोरि जम-कारे, अहिरावन की भुजा उखारे🙏
बाएं भुजा असुरदल मारे, दहिने भुजा सन्तजन तारे🙏🙏
सुर नर मुनि आरती उतारे, जय जय जय हनुमान उचारे🙏
कंचन थार कपूर लौ छाई, आरति करत अंजना माई🙏
जो हनुमानजी की आरति गावै, बसि बैकुण्ठ परम पद पावै🙏🙏
(6) Aarti shiv shanker bholenath (जय शिव ओंकारा)
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Aarti bholenath shiv sambu ki |
जय शिव ओंकारा, ओम जय शिव ओंकारा🙏
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा🙏🙏
ओम जय शिव ओंकारा🙏
एकानन चतुरानन पंचानन राजे🙏
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे🙏🙏
ओम जय शिव ओंकारा🙏
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे🙏
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे🙏🙏
ओम जय शिव ओंकारा🙏
अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी🙏
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी🙏🙏
ओम जय शिव ओंकारा🙏
श्वेतांबर पीतांबर बाघंबर अंगे🙏
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे🙏🙏
ओम जय शिव ओंकारा🙏
कर के मध्य कमंडल चक्र त्रिशूलधारी🙏
सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी🙏🙏
ओम जय शिव ओंकारा🙏
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका🙏
प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका🙏🙏
ओम जय शिव ओंकारा🙏
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे🙏
कहत शिवानंद स्वामी सुख संपति पावे🙏🙏
ओम जय शिव ओंकारा🙏
(7) अम्बे माँ आरती (ambe maa aarti)
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ambe maa aarti |
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली 🙏
तेरे ही गुण गायें भारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती 🙏🙏
तेरे भक्त जनों पे माता, भीर पड़ी है भारी🙏
दानव दल पर टूट पडो माँ, करके सिंह सवारी 🙏🙏
सौ सौ सिंहों से तु बलशाली, दस भुजाओं वाली 🙏🙏🙏
दुखिंयों के दुखडें निवारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती🙏🙏🙏🙏
माँ बेटे का है इस जग में, बडा ही निर्मल नाता 🙏
पूत कपूत सूने हैं पर, माता ना सुनी कुमाता 🙏🙏
सब पर करुणा दरसाने वाली, अमृत बरसाने वाली 🙏🙏🙏
दुखियों के दुखडे निवारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती 🙏🙏🙏🙏
नहीं मांगते धन और दौलत, न चाँदी न सोना 🙏
हम तो मांगे माँ तेरे मन में, इक छोटा सा कोना 🙏🙏
सबकी बिगडी बनाने वाली, लाज बचाने वाली🙏🙏🙏
सतियों के सत को संवारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती 🙏🙏🙏🙏
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली🙏
तेरे ही गुण गायें भारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती🙏🙏
(8) आरती श्री कुंज बिहारी की (Aarti kunj bihari ki)
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Aarti kunj bihari ki |
आरती कुंज बिहारी की, श्री गिरधर कृष्ण मुरारी की🙏
गले में बैजन्ती माला, बजावै मुरली मधुर बाला🙏
श्रवन में कुंडल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला🙏🙏
नैनन बीच, बसहि उरबीच, सुरतिया रूप उजारी की 🙏🙏🙏
आरती कुंज बिहारी की।
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली🙏
लतन में ठाढ़ै बनमाली, भ्रमर सी अलक🙏🙏
कस्तूरी तिलक, चंद्र सी झलक, ललित छबि श्यामा प्यारी की🙏🙏🙏
आरती कुंज बिहारी की।
कनकमय मोर मुकट बिलसे, देवता दरसन को तरसे🙏
गगनसों सुमन रासि बरसै, बजे मुरचंग मधुर मिरदंग🙏🙏
ग्वालनी संग, अतुल रति गोप कुमारी की🙏🙏🙏
आरती कुंज बिहारी की।
जहां ते प्रकट भई गंगा, कलुष कलि हारिणि श्री गंगै🙏
स्मरन ते होत मोह भंगा, बसी शिव सीस जटाके बीच🙏🙏
हरै अघ कीच, चरन छबि श्री बनवारी की🙏🙏🙏
आरती कुंज बिहारी की।
चमकती उज्जवल तट रेनू, बज रही वृन्दावन बेनू🙏
चहुं दिसि गोपी ग्वाल धेनू, हसत मृदु मंद चांदनी चंद 🙏🙏
कटत भव फंद, टेर सुनु दीन भिखारी की🙏🙏🙏
आरती कुंज बिहारी की।
(9) माँ लक्ष्मीजी की आरती (Jai laxmi mata aarti)
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Jai laxmi mata aarti |
ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता🙏
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता🙏🙏
उमा, रमा, ब्रम्हाणी, तुम ही जग माता🙏
सूर्य चद्रंमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता🙏🙏
ओम जय लक्ष्मी माता
दुर्गा रुप निरंजनि, सुख-संपत्ति दाता🙏
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता🙏🙏
ओम जय लक्ष्मी माता
तुम ही पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता🙏
कर्म-प्रभाव-प्रकाशनी, भव निधि की त्राता🙏🙏
ओम जय लक्ष्मी माता
जिस घर तुम रहती हो, ताँहि में हैं सद्गुण आता🙏
सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता🙏🙏
ओम जय लक्ष्मी माता
तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता🙏
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता🙏🙏
ओम जय लक्ष्मी माता
शुभ गुण मंदिर सुंदर क्षीरोदधि जाता🙏
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता🙏🙏
ओम जय लक्ष्मी माता
महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता🙏
उँर आंनद समाता, पाप उतर जाता🙏🙏
ओम जय लक्ष्मी माता
ओम जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता🙏
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता🙏🙏
(10) Bhagwan visnu ji ki Aarti (विष्णु भगवान की आरती)
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Bhagwan visnu ji ki Aarti |
ओम जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे🙏
भक्त जनों के संकट क्षण में दूर करे🙏🙏
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का🙏
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ओम जय जगदीश हरे🙏🙏
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी🙏
तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ओम जय जगदीश हरे🙏🙏
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी🙏
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ओम जय जगदीश हरे🙏🙏
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता🙏
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ओम जय जगदीश हरे🙏🙏
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति🙏
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ओम जय जगदीश हरे🙏🙏
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे🙏
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ओम जय जगदीश हरे🙏🙏
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा🙏
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ओम जय जगदीश हरे🙏🙏
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा🙏
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ओम जय जगदीश हरे🙏🙏
जगदीश्वर जी की आरती जो कोई नर गावे🙏
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ओम जय जगदीश हरे🙏🙏